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By 1BORAR 1 views 2 years ago
*बिना काम के मुकाम कैसा?*
*बिना मेहनत के, दाम कैसा*?
*जब तक ना हाँसिल हो मंज़िल*
*तो राह में, राही आराम कैसा*?
*लाखों-करोड़ों का , महीने में,*
*ना कोई बहाना रख*।
*जो लक्ष्य सामने है,*
*बस उसी पे अपना ठिकाना रख।*
*सोच मत, साकार कर*,
*अपने कर्मो से प्यार कर।*
*मिलेंगा तेरी मेहनत का फल*,
*किसी और का ना इंतज़ार कर।*
*जो चले थे अकेले*,
*उनके पीछे आज मेले हैं*। *और*
*जो करते रहे इंतज़ार, उनकी जिंदगी में आज भी झमेले है*।
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