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*बिना काम के मुकाम कैसा?* *बिना मेहनत के, दाम कैसा*? *जब तक ना हाँसिल हो मंज़िल* *तो राह में, राही आराम कैसा*? *लाखों-करोड़ों का , महीने में,* *ना कोई बहाना रख*। *जो लक्ष्य सामने है,* *बस उसी पे अपना ठिकाना रख।* *सोच मत, साकार कर*, *अपने कर्मो से प्यार कर।* *मिलेंगा तेरी मेहनत का फल*, *किसी और का ना इंतज़ार कर।* *जो चले थे अकेले*, *उनके पीछे आज मेले हैं*। *और* *जो करते रहे इंतज़ार, उनकी जिंदगी में आज भी झमेले है*। http://www.worldhelps.net/register?Nihar1 * Metavarious family members *
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